Vishwa Adivasi Divas 2023: छत्तीसगढ़ के आदिवासी बच्चे 'इंडियाज़ गाॅट टेलेंट' में छाए, खेलो इंडिया गेम्स और नेशनल गेम्स से लेकर नासा तक लगाई छलांग, पढ़िए आदिवासी बच्चों की उड़ान की कहानी...
Vishwa Adivasi Divas 2023
Vishwa Adivasi Divas 2023 : रायपुर। सबसे कटे हुए और पिछड़े, सुविधाहीन, कंद-मूल पर निर्भर और अबूझ...आदिवासियों को लेकर लोगों के मन में यही धारणा बनी हुई है लेकिन अब स्थिति बदल रही है। सरकारी योजनाओं का लाभ भी उन्हें मिल रहा है। आदिवासियों के पास शहरी लोगों जैसी सुविधाओं की कमी भले ही हो लेकिन उनके बच्चे अब अपने ख्वाबों का आसमां छूने की ज़िद पाल बैठे हैं। और जब ज़िद के साथ जुनून भी हो तो पहचान मिलकर रहती है। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर जानते हैं छत्तीसगढ़ के आदिवासी बच्चों के कमाल...
इंडियाज़ गाॅट टेलेंट में पाई सराहना
हाल ही में नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के खिलाड़ी रियालिटी शो “इंडियाज गॉट टैलेंट” में अपना हुनर दिखाकर सुर्खियों में हैं। इन 16 मलखंभ खिलाड़ियों ने पहले राउंड में इतना बेहतरीन प्रदर्शन किया कि जज हैरान रह गए। इन खिलाड़ियों ने अगले राउंड के लिए क्वालीफाई तो किया ही, जजों की खूब तारीफ भी पाई। रैपर बादशाह ने तो यहां तक कहा कि ' अबूझमाड़ ही भविष्य है'। उन्होंने टीवी भिजवाने का भी प्रबंध किया जिससे उनके क्षेत्र के लोग खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन देख सकें।
जवाब में खिलाड़ियों ने भी जज और रैपर बादशाह को छत्तीसगढ़ की आदिवासी परंपरा से जुड़ा 'गौर मुकुट' पहनाया।
खेलो इंडिया गेम्स में जीते थे सोलह पदक अबूझमाड़ के मलखंभ खिलाड़ियों ने मध्य प्रदेश में आयोजित खेलो इंडिया गेम्स में भी शानदार प्रदर्शन करते हुए सोलह पदक जीते थे। मलखंभ स्पर्धा में अबुझमाड़ के राकेश कुमार वरदा ने स्वर्ण समेत 3 पदक जीतने की उपलब्धि हासिल की थी। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित गांव आदेर की 9 वर्षीय बच्ची हिमांशी उसेंडी भी खेलो इंडिया गेम्स में दुगनी उम्र के खिलाड़ियों के सामने उतरीं। इन खिलाड़ियों के कोच मनोज ने इंटरव्यू में बताया था कि सभी प्रतिभागी दिहाड़ी मजदूरों के बच्चे हैं और अपना हुनर निखारने के लिए निरंतर और अनथक परिश्रम कर रहे हैं।
पहाड़ी कोरवाओं के बच्चे कर रहे तीरंदाजी में मुकाम पाने की कोशिश
आदिवासी बहुल जशपुर जिले के पहाड़ी कोरवाओं के बच्चे अपने परंपरागत खेल 'तीरंदाजी' में पहचान बनाने का प्रयास कर रहे हैं। पहाड़ी कोरवा विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) में शामिल हैं। इन्हें राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र माना जाता है, जिसके पीछे लंबी कहानी है।फिलहाल बात ज़िद और जुनून की। जशपुर के 'तीरंदाजी केंद्र' में करीब 10 बच्चे अपने हुनर को निखारने घंटों अभ्यास कर रहे हैं। आने वाले समय में ओलंपिक खेलों में उतरने और देश का नाम रौशन करने की इन्हें उम्मीद है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इनमें से कई बच्चों के माता-पिता तो केंद्र में बच्चों को छोड़ने के तीन-चार साल बाद दोबारा इन्हें देखने आते हैं।
तीरंदाजी से शिवतराई को मिली देश-विदेश में पहचान
शिवतराई के तीरंदाज राज्य और राष्ट्रीय स्तर की तीरंदाजी स्पर्धाओं में 94 पदक जीत कर इतिहास बना चुके हैं। बिलासपुर जिले में स्थित,शिवतराई में करीब 2,000 गोंड और बैगा आदिवासी परिवार हैं। ये पारंपरिक रूप से तीर - धनुष का इस्तेमाल करते आए हैं। अब इनके बच्चों ने तीरंदाजी में अपने हुनर को मांजने और उसके दम पर पहचान बनाने की ठान ली है और पदक भी जीते हैं जिसने क्षेत्र को अलग पहचान दी है।
बलरामपुर की अंजलि ने बेसबाल में बनाई पहचान
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के गांव सिविलदाग गांव की अंजलि खल्खो हांगकांग में हुई महिला एशियाई बेसबॉल चैंपियनशिप में भारतीय टीम की हिस्सा थीं। वह टूर्नामेंट में चीनी ताइपे और फिलिपीन्स के खिलाफ एक कैचर के रूप में खेली थी। अंजलि दिसबंर में कनाडा में आगामी टूर्नामेंट में हिस्सा लेंगी।
जशपुर की एलिजाबेथ बनीं साइकिलिस्ट
जशपुर की आदिवासी बेटी एलिजाबेथ बेक नेशनल गेम्स 2022 के लिए सिलेक्ट हुई थीं। छोटी सी खपरैल वाली झोपड़ी में रहने वाली एलिजाबेथ ने बड़ी मुश्किलों का सामना कर कम सुविधाओं में अपनी कोशिश जारी रखी और परिवार का नाम रौशन किया।
नासा की स्टडी के लिए चुनी गईं रितिका
खेलों से इतर साइंस की फील्ड में भी आदिवासी बच्ची ने भी कमाल किया। महासमुंद आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल की छात्रा रितिका ध्रुव का चयन नासा के सिटिजन साइंस प्रोजेक्ट के तहत क्षुद्र ग्रह की खोज के लिए हुआ था। आपको बता दें कि रितिका के पिता साइकिल रिपेयरिंग का काम करते हैं।